
लेखक – वरिष्ठ पत्रकार और मासिक पत्रिका छत्तीसगढ़ प्राइड के संपादक हैं…
देश के चार राज्यों मे विधानसभा चुनाव (हरियाणा, जम्मू काश्मीर) के समय संप्रादायिक ताकतें सक्रिय होकर, अपने योजना के मुताबिक सार्वजनिक स्थलों पर हिंसा के जरिये देश को अशांत करने के प्रयास में लगे रहते है। क्योंकि लोकतंत्र को कमजोर करके स्वयं के शासन काल बनाना चाहते है। यह दूषित प्रयास देश के आजादी के आंदोलन के समय भी यह प्रयास किया गया था। यह एक कुंठित सोच और गुलामी को समर्थन करता है। देश को आजाद हुये 77 साल हो गये है। किंतू देश आज-तक संप्रादायिक-ताकतों से आजाद नही हो पाया। सभी धर्म में हिंसा वर्जित है। संप्रादायिक ताकतों की सक्रियता से देश के लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश है।
संप्रादायिक दंगे का एक दूसरा विभत्स रूप ‘‘मॉब-लीचिंग’’ के जरियें विशेष जाति-समुदाय के पर प्रहार करना रहता है। 27 अगस्त 2024 को ‘‘चाकरी-दादरी’’ हरियाणा में ‘‘गौ-मास’’ खाने के शंका में गरीब बंगाल मजदूर मुस्लिम को ‘‘मॉब-लीचिंग’’ (भीड़ द्वारा) पीट-पीट कर मार दिये गये है। हरियाणा प्रदेश में अगले माह अक्टूबर 2024 में विधानसभा चुनाव होने वाले है। दूसरी तरफ सत्ता पक्ष की खिसकती जनाधार के कारण भयभीत है। इसके अलावा देश में अवसरवादी राजनैतिक दल के नेताओं का दल-बदल जारी है। देश के लोकतंत्र को नष्ट करने के लिये कई तरह की साजिशें रची जा रही है। दादरी के गरीब बंगाल के मुस्लिम मजदूर (कबाड़ का समान संग्रहित करने वाला) के अलावा साथ में असम राज्य के बंगाल मुस्लिम मजदूर भी कबाड़ क मजदूरी करते है। देश में चुनाव के समय विशेष जाति के समुदाय पर सत्ताधारी राजनैतिक दल अपनी खिसकती जनाधार को मजबूत करने के लिये साजिश रची जाती है। और साथ ही चुनाव के समय देश कीे जनतां को धर्म एवं जाति के आधार पर बांटने का साजिश की जाती है। जो देश में धूम-धूम कर ‘‘गौ-मास’’ व हिजाब के नाम पर अराजकता फैलाई जाती है।
देश में ‘‘गौ-रक्षक समिति’’ द्वारा ‘‘गो-वध’’ का विरोध खूब जोरो से किया जाता है। देश के राष्ट्रीय राज मार्गो में प्रायः यातायात को अवारा पशुओं द्वारा बाधित होता आ रहा है। किंतू ‘‘गौ-रक्षक समिति’’ एवं शासन द्वारा इस समस्या पर कभी भी विचार नहीं किये है। वरन ‘‘गौ-मास’’ के नाम पर बेकसूर विशेष जाति के मजदूरों को पीट-पीट कर भीड़ द्वारा जान से मार देते है। आश्चर्य की बात है कि विगत 10 वर्षो से यह अत्याचार गरीब मजदूरों परखुलेआम किया जा रहा है। किंतू शासन-प्रशासन चुप क्यों है? भीड़ द्वारा कमजोर व बेकसूर मजदूर को ‘‘गौ-मास’’ खाने व रखने के शंका के आधार पर पीट-पीट कर मारने के अपराध को प्रायः शासन अनदेखी करती आ रही है। ‘‘गौ-वध’’ के विरूद्ध शासन को नियम जरूर बनाना चाहिए। ‘‘गौ-वध’’ पर आ-जीवन कारावास दंड का प्रावधान किया जाना चाहिए। एवं साथ ही ‘‘गौ-मास’’ खाने व रखने पर प्रतिबंध भी होनी चाहिए। किंतू असंवेदशील शासक इसे हमेशा धर्म का नाम लेकर चुप रहता है। शासक अपने प्रचार-प्रसार में गाय को ‘‘गौ-माता’’ के रूप में प्रचार जरूर किया है। और साथ ही ‘‘गौ-वध’’ को अक्षम्य अपराध मना है। किंतू हमेशा की तरह शासक द्वारा नियम बनाने में असफल रहा है। देश के उतरी-पूर्वी क्षेत्रों में ‘‘गौ-मास’’ की दुकाने सजी रहती है। वहां हजारों की संख्या में प्रतिदिन ‘‘गौ-वध’’ किये जाते है। हिन्दू महासभा के संस्थापक सावरकर ने एक लेख मे कहां है की ‘‘गौ-पालन’’ पूज्यनीय कार्य है। यह कार्य सिर्फ हिन्दू ही करता है। एवं गौ के बीमार होने के पश्चात् इन्हे खुले रूप में छोड़ दिया जाता है। ं सत्तापक्ष के नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहां था की ‘‘गौ-मास’’ खाने वाले पाकिस्तान चले जावें। किंतू दूसरी तरफ सत्तापक्ष के केन्द्रीय मंत्री किरण रिजुजू ने ‘‘गौ-मास’’ खाने की परंपरा उतरी-पूर्वी राज्यों में होने के कारण मैं स्वयं ‘गौ-मास’’ खाता हूं। चुनावी चंदा (इलेक्टोल बॉड) ‘‘बीफ’’ (‘‘गौ-मास’’) के व्यापारी द्वारा सबसे अधिक चुनावी चंदा दिया गया है। दूसरी तरफ यही शासक ‘‘गौ-मास’’ खाने व रखने के शंका के आधार पर गरीब मजदूरों को ‘‘मॉब-लीचिंग’’ में फंसाते है। देश में गाय को दूध देते तक ‘‘गौ-माता’’ से परिभाषित किया गया। और दूध न देने वाली गाय को किसान सड़क पर छोड़ देते है। अथवा पैसे के लालच में कसाई-बाड़ा में भेज देते है। शासन को खुले आवारा पशुओं के विरूद्ध नियम बनाकर दंडित किया जाना चाहिए।
शासक का चाल, चरित्र और चेहरा सिर्फ दिखावा है। देश की भोली-भाली जनता ‘‘गौ-रक्षक’’ एवं ‘‘धर्म रक्षक’’ संस्था के खोखले नारों की साजिश में फंस चुकी है। और इनके आंतक के साये में जीने के लिए मजबूर है। देश का तमाशे-बाज शासक का नया फितूर देखने को मिला है कि-विदेशी दौरे में विदेश के मस्जिदों का भ्रमण कर स्वयं को धर्मनिरपेक्ष साबित करने का प्रयास करते है। और स्वदेश लौटने पर कब्रस्तान की खाली जमीनों पर नियम बनाने का प्रयास करते है। ‘‘गौ-मास’’ खाने के शक के आधार पर महाराष्ट्र के ठाणें के चलती ट्रेेन में गरीब मुस्लिम 70 वर्षीय बुर्जुग के साथ ‘‘मॉब-लीचिंग’’ की घटना हुई है। इस गरीब मुस्लिम बुर्जुग पर ‘‘गौ-मास’’ को टिफिन में रखने के शंका के आधार पर भीड़ द्वारा पीट-पीट कर अंधमरा कर दिया गया है। बाद में गरीब मजदूर की टिफिन बॉक्स की जांच करने पर ‘‘गौ-मास’’ रखने की बात को असत्य पाया गया है। इस तरह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के समय ध्रवीकरण का महौल बनाया जा रहा है। ठीक इसी तरह कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय ‘‘हिजाब’’ पर विवाद शुरू कर अराजकता फैलाई गई थी। किंतू इनका यह फितूर असफल रहा। देश में चुनाव के समय पर मंदिर-मस्जिद, हिन्दू-मुसलमान, हिन्दुस्तान-पाकिस्तान, शमशानघाट-कब्रस्तान, गौ-मास और हिजाब पर भ्रामक प्रचार के जरिये लोकतंत्र को लगातार कमजोर करने का प्रयास चल रहा है। बहूसंख्यक वर्ग, भोली-भाली जनता को उतेजित भाषण के जरिये अपनी शासन को बनाये रखने के लिये षडंयत्र रचे जाते है। भविष्य में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव होने के आशय में देश का प्रधानमंत्री मराठी-सफेद टोपी पहनकर विगत गुरूवार 12 सितम्बर 2024 को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के आवास पर गणेश उत्सव की आरती में उपस्थित हुए। जिससे देश की जनताओं में न्यायपालिका एवं चुनाव पर संदेह जाग उठा। इसके अतिरिक्त 13 सितम्बर 2024 को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 177 दिन जेल में रहने के बाद जमानत पर रिहा किया गया है। इसका असर देश के चार राज्यों (हरियाणा, जम्मू काश्मीर, झारखण्ड व महाराष्ट्र) के विधानसभा चुनाव में आवश्य ही दिखाई देगा।
देश के शासक द्वारा 4 वर्षीय ‘‘अग्निीवीर’’ योजना के जरिये सेना का बलिदान एवं समपर्ण पर चोट पहुचाया गया है। सैनिको का कार्यकाल को मात्र 4 साल करके उन्हें पेंशन एवं ग्रेच्यूटी से वंचित किया गया है। और साथ ही ‘‘अग्निीवीर’’ सिपाही के शहादत होने पर कोई मुआवजा का प्रावधान नही है। देश का प्रधान 2019 के आम चुनाव के समय पुलवामा में 40 सैनिकों की शहादत के नाम पर वोट-बटोरकर सत्ता में आये थें। भारतीय सेना के फौज में 60ः युवा हरियाणा प्रदेश के होते है। ‘‘अग्निीवीर’’ का जबरदस्त अक्रोश हरियाणा के देश-भक्त युवाओं में देखा गया है। जिससे हरियाणा विधानसभा चुनाव सत्तापक्ष के लिए असान नही है। घबराई सत्तापक्ष 4 वर्षीय ‘‘अग्निीवीरों’’ को पुनः सेना में रखने के लिए (कुल 50ः अग्निीवीरों का) घोषणा की गई है। यह परिवर्तन देश के मजबूत विपक्ष द्वारा 4 वर्षीय अग्निीवीर योजना का लगातार विरोध किया गया है। हरियाणा का किसान विगत 17 माह से ‘‘समर्थन’’ मूल्य के लिए धरने पर बैठे है। हरियाणा की बेटी विनेश-पोगाट (कुश्ती विजेता) के साथ सत्तापक्ष द्वारा साजिश के कारण ओलपिक स्वर्ण पदक से वंचित किया गया है। विनेश-पोगाट पर देश को गर्व है। विनेश-पोगाट हरियाणा विधानसभा चुनाव में जुलाना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव लडे़गी। इसके अलावा महान गायक कन्हैयालाल मित्तल का गाना ‘‘जो राम को लाये है, उन्हे हम लायेगें।’’ अब कांग्रेस में शामिल होकर चुनाव प्रचार करेंगें। जिससे सत्तापक्ष में भागम-भाग की स्थिति बनी हुई है।