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बंग्लादेश में तख्ता-पलट- घबराई शेख हसीना भारत में शरण ली

लेखक तपन चक्रवर्ती

लेखक तपन चक्रवर्ती

(मासिक पत्रिका छत्तीसगढ़ प्राइड के संपादक)

भारत के महत्वपूर्ण पड़ोसी देश में विगत दो माह से चल रहे ‘‘आरक्षण-हटाओं‘‘ छात्र-आंदोलन उग्र रूप लेने के कारण आज बंग्लादेश में अराजकता और हिंसा की चपेट में आने के कारण अब तक लगभग 650 अल्प संरक्षक (हिंदू परिवार) मारे गये है। कट्टर पंथियों एवं फासीवाद के कारण 1990 में स्थापित लोकतंत्र अब पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। बंग्लादेश की आजादी की लड़ाई में भारत का पूरा समर्थन रहा और 1971 में ‘‘बग-मुक्ती-वाहनी’’ के असीमित स्वतंत्रता सेनानीयों के बलिदानों से बंग्लादेश, पाकिस्तान से आजाद हुआ था। और ‘‘बंग-बधु मुजीबुर्र रहमान’’ आवामी-लीग के प्रमुख ने आजाद बंग्लादेश का सत्ता संभाली। किंतू कट्टर पंथीयों की गहरी साजिश के चलते 15 अगस्त 1975 को ‘‘बंग-बंधू’’ मजीबुर्ररहमान सहित परिवार के 11 सदस्यों को गोली मारकार हत्या कर दी गई। विभत्स एवं जधन्य हत्या कांड से पूरा विश्व स्तब्ध रह गया। शेख-हसीना और उसकी छोटी बहन इंग्लैड मे रहने के कारण हत्याकांड के षडयंत्र से बच गई। बंग्लादेश में तख्ता पलट के कारण 15 सालों तक सैन्य शासन रहा। अफसोस की बात है कि आज फिर गंभीर-साजिश के तहत कट्टर पंथाीयों का साजिश को पुरावृत्ति कर, सेना द्वारा पुनः सत्ता हथिया-लिये। सेना द्वारा मात्र 45 मिनट का समय शेख हसीना को दिये जाने के कारण शेख हसीना प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत मे पनाह ली। शेख हसीना बंग्लादेश वायुसेना के सी-130 जे विमान से अपनी बहन रेहाना के साथ सोमवार के शाम को ‘‘हिंडन-एयरकोर्स बेस’’ पर उत्तरी। वहां पर उपस्थित भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने स्वागत किये। इसके अलावा राष्ट्रीय-सुरक्षा-सलाहकार (अजीत डोेमाल) ने बंग्लादेश के प्रधानमंत्री से विस्तार पूर्वक चर्चायें की। यह भी माना जा रहा है कि अजीत-डोमाल द्वारा नरेन्द्र मोदी का संदेश दिया गया। शेख हसीना कुछ दिनों तक भारत मे रहेंगी और फिर लंदन लौट जायेगी। बंग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मों. यूनूस ने कहा कि-दूसरी क्रांति बंग्लादेश ने पांच अगस्त 2024 को देखी है। यह क्रांति हमारे युवा छात्रों के नेतृत्व मे हुई है। और अंतरिम सरकार 08 अगस्त को सत्ता ग्रहण कियें।
बंग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना द्वारा विगत 3 माह पहले स्वतंत्रता सेनाओं की परिवारों को शिक्षा एवं रोजगारों क्षेत्रों में 30ः आरक्षण की घोषणा की घोषणा ‘‘बंग-बंधु मूजिबूरहमान‘‘ के 50वीं पुण्यतिथी के अवसर पर किया गया। जिससे बंग्लादेश के छात्र संगठन सड़क पर आकर आरक्षण के विरोध पर उग्र आंदोलन करना प्रारंभ कर दिये। बढ़ती मंहगाई एवं बेरोजगारी के कारण बंग्लादेश की जनता शुरू से परेशान है। प्रथम दिन के उग्र आंदोलन से 100 लागों की जानें चली गई और ढाका एवं चटगांव की कई दुकानों को आग के हवाले कर दिये एवं मंदिरों को भी तोडा गया। जिससे शासन में बैठे सत्ताधीशों द्वारा छात्र संगठन से शांति की अपील भी किये। किंतु आंदोलनकारीयों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। आंदोलनकारी छात्र-संगठन की सिर्फ एक ही मांग रही ‘‘आरक्षण को वापस लिया जाय‘‘। तीसरे दिन मृदकों की संख्या 200 के पार हाने पर सुप्रिम कोर्ट ने तुरंत ही सज्ञान लेते हुए आरक्षण की सीमा को 30ः के जगह 5ः अवामी लीग (स्वतंत्रता सेनानी के परिवार) और 2ः विकलांगों के लिए आरक्षित रखने का फैसला लिया गया। किंतू इससे छात्र संतुष्ट नहीं हुऐं। और आंदोलन चरम बिंदू पर पहुंच गई। नतीजन 5 अगस्त को उग्र आंदोलनकारी छात्रों द्वारा ‘‘बंग-बंधु-भवन‘‘ में बलात प्रवेश करते हुए ‘‘बंग-बंधु मुजिर्बुरहमान‘‘ की आदमकद प्रतिमा को तोड़ दिये। और तो और आंदोलनकारीयों द्वारा बंग-भवन के किचन रूम में खाद्य पदार्थों का जायका भी लिये। इसके अलावा कुछ आंदोलनकारी शयनकक्ष के मखमली बिस्तर पर लेटकर आनंद भी लिये और किमती समानों को भी लूटकर चले गये। बांग्लादेश की बिगड़ती हालात को देखते हुए सेना द्वारा सत्ता को अपने कब्जे में लेकर एवं शेख हसीना से एकतरफा इस्तीफा लेकर उन्हे देश छोड़ने के लिए मात्र 45 मिनट का समय दिया गया। इस दौरान शेख हसीना सेना की वायुयान से भारत में पनाह ली। बंग्लादेश के राष्ट्रपति मो. शहाबुद्दीन ने देश की संसद को भंग कर अंतरिम सरकार का गठन और नये चुनाव का रास्ता साफ कर दी। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद आंदोलनकारीयों की उग्रता और बढ़ गई। जिसके चलते हिंसा का तांडव थमने का कोई आशय नहीं दिखा। अल्प-संख्यकों (हिंदू) के ऊपर हिंसा जारी है एवं दुकाने और मंदिरों को भी जलाया गया और तोड़ा जा रहा है। अल्पसंख्यको (हिंदू) की अबादी देश में 35ः थी और मात्र 8ः रह गई है। अब तक अल्पसंख्यकों (हिंदू) की 650 से अधिक जाने चली गई है। इसके अलावा अगामी लोग के 29 नेताओं को मार दिया गया है।
बंग्लादेश में सत्ता संघर्ष दो प्रमुख महिलाओं के बिच में हमेशा रही। बंग-बंधु शेख मुजिर्बुरहमान की बेगम खलिदा जिया और बेटी शेख हसीना दोनो सत्ता हथियाने के लिए हमेशा षडयंत्रों का इस्तेमाल की है। बेगम खलीदा जिया और शेख हसीना दोनो मिलकर सेना को सत्ता से बेदखल किये। 1991 में देश में पहली बार चुनाव हुए। इस चुनाव में बेगम खलीदा की पार्टी ‘‘बंग्लादेश नेशनल पार्टी‘‘ भारी मतों विजयी होकर सत्ता में वापस लौटी। अगले पांच साल के बाद चुनाव में शेख हसीना विजयी हुई। इस तरह हर पांच सालों में सत्ता का उलटफेर-चलता रहा। बेगम खलीदा हमेशा इस्तेमाल कट्टर पंथियों का सहारा लेकर सत्ता में काबिज हुई। किंतू 2009 में शेख हसीना ने सत्ता को अपने पास रखी। बेगम खलीदा के ऊपर 2,50,000 डालर का आरोप लगाकर जेल भेज दिये गयें। बेगम खलीदा को 17 साल की सजा 2018 में सुनाई गई है। किंतू बेगम खलीदा की बिमारीयों चलते 2020 में माननीय अधार पर रिहा गया। किंतू उन्हे अपने ही घर में नजरबंद रखा गया। बेगम खलीदा के शासन काल में इस्लामी कट्टरपंथीयों को बढ़ावा देने से भारत के सीमा पर तनाव का माहौल बना रहा। अमेरिका एवं पाकिस्तान हमेशा की तरह मौके की ताक में रहते आये है। किंतू दूसरी तरफ शेख हसीना भारत के साथ मधूर संबंध बनाये रखने के लिए विभिन्न आर्थिक योजनाओं (व्यवसायिक योजनाओं) के अनुबंध के सहारे देश को आर्थिक सम्पनता में उच्च शिखर पर लाने के लिए संकल्पित रही। शेख हसीना ने बंग्लादेश में कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देकर विभिन्न देशों में गारमेंटस की निर्यात करते हुए देश का ळक्च् को सर्वोत्तम ऊचाई पर लाई है। कुछ महिनों पहले शेख हसीना के भारत देश के प्रवास के समय तीस्ता नदी के पावर प्रोजेक्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र-मोदी से गहन विचार विमर्श कर अनुबंध किया गया। जिससे चीन का बंग्लादेश से संबंध और तीखी हो गई। और इस तीखापन में नमक मिर्च-मसाला लगाकार भारत देश को दुश्मनों की फेहरिस्त में सबसे ऊपर रखा गया है।

इसके अलावा शेख हसीना ने बंग्लादेश के ‘‘सत्ता पलट‘‘ में अमेरिका पर संदेह प्रकट की है कि 3.0 वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल छोटा सा ‘‘सेंट मार्टिनद्वीप‘‘ बंगाल की खाड़ी के उत्तरी-पूर्वी हिस्से पर स्थित है। इस ‘‘सेंट-मार्टिनद्वीप‘‘ पर अमेरिका की नजर शुरू से बनी हुई है। शेख हसीना का कहना है कि – अगर मैं इस ‘‘सेंट-मार्टिन-द्वीप‘‘ को अमेरिका के हवाले कर दिया रहता तो मुझे अपना देश नहीं छोड़ना पड़ता। बंग्लादेश के सत्ता पलटने से भारत का खतरा और बढ़ गया है। चीन, अमेरिका और पाकिस्तान हमेशा की तरह ‘‘भारत-बंग्लादेश‘‘ के बिच मधूर संबंध में दरांरे लाने की शुरू से प्रयासरत है। पाकिस्तान ने इस्लामी-कट्टरपंथी को हथियार बनाया। इसके अलावा चीन एवं अमेरिका व्यवसायिक अनुबंध के सहारे दोनो देशों में अस्थिरता का महौल बनाये रखने में प्रयासरत है। अमेरिका अपने कुटिल रणनीति के तहत बंग्लादेश में अराजकता का महौल के लिए फंडिंग के साथ पाकिस्तान का कट्टरपंथी का तड़का एवं चीन द्वारा भारत की सीमाओं में हमेशा युद्ध का माहौल बनाकर अशांत और आर्थिक विपन्नताओं का देश बनाना ही मकसद है।

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