
धमतरी। जिला प्रशासन द्वारा आज प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों, कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं तथा ग्यारहवीं-बारहवीं के विद्यार्थियों को भविष्य निर्माण के लिए आवश्यक जानकारियां दी गई। स्थानीय बाबू पंढरीराव कृदत्त इंडोर स्टेडियम में आयोजित कैरियर काउंसिलिंग कार्यक्रम में भारतीय विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी मुनु महावर ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। कलेक्टर अबिनाश मिश्रा और जिला पंचायत की सीईओ रोमा श्रीवास्तव की मौजूदगी में महावर ने विद्यार्थियों के प्रश्नों का जवाब देकर उनकी शंकाओं और जिज्ञासाओं का समाधान किया। उन्होंने विद्यार्थियों को कड़ी मेहनत से जीवन में इच्छित लक्ष्य पाने के लिए प्रेरित किया।
महावर ने अपनी छात्र जीवन से लेकर भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी के रूप में विश्व के अलग-अलग देशों में नियुक्ति के दौरान आई चुनौतियों और अनुभवों को भी सभी के साथ साझा किया। उपस्थित छात्र-छात्राओं ने महावर से विभिन्न प्रश्न पूछे। इस दौरान कलेक्टर मिश्रा ने विद्यार्थियों को शासकीय येजनाओं से संबंधित जानकारियां दीं और विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाया। कार्यक्रम के अंत में महावर को जिला प्रशासन की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट कर आभार व्यक्त किया गया।
प्रश्न-90 के दशक में ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरी को ज्यादा प्राथमिकता नहीं दी जाती थी, ऐसे परिवेश में आपको नौकरी का खयाल कैसे आया ?
श्री महावर -मैं शुरू से ही पढ़ने में अच्छा था, पहले मेडिकल इंजीनियरिंग में 12 वीं कक्षा में अंकों के आधार पर सेलेक्शन हो जाया करता था। उस समय सोचता था कि इंजीनियर बनूंगा। फिर इंटरेंस टेस्ट होने लगा, मैं उसमें पास हो गया। भोपाल से इंजीनियरिंग की, फिर आईआईटी दिल्ली से बीटेक किया। फिर यूपीएससी की तैयारी की और विदेश सेवा में चयनित हुआ। मेरे घर में पिताजी नौकरी में थे। कई रिश्तेदार भी शासकीय नौकरी में आने के लिए प्रेरित करते थे, तो मेरा भी मन शासकीय सेवा में आने का हो गया। एक बार आईएफएस ज्वाईन करने के बाद अनुभव सकारात्मक रहा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
प्रश्न- जीवन में आगे बढ़ने के लिए क्या करें?
श्री महावर -जिस क्षेत्र में रूचि हो, उसे पूरा समय दें। उच्च शिक्षा जरूर प्राप्त करें। आज के जमाने में केवल ग्रेजुएशन से काम नहीं चलता। अपने विषय में महारत हासिल करें। विषय का पूरा ज्ञान होने पर आगे सफलता के पथ पर बढ़ने का रास्त खुद-ब-खुद खुलता जाता है। अब तो सरकार ने नई शिक्षा नीति में कई अच्छे प्रावधान कर दिए हैं। एक फील्ड-विषय विशेष का विद्यार्थी भी अब दूसरी फील्ड में जाकर सफलता प्राप्त कर सकता है।
प्रश्न-असफलता से कैसे डील करें?
श्री महावर -जब बहुत मेहनत करने के बाद भी किसी भी कारणवश सफलता हाथ नहीं आती, तो निराशा तो होती ही है, निराशा पर काबू पाएं। हमेशा अपने कैरियर के लिए बैकअप प्लान तैयार रखें, ताकि किसी कारणवश भी मेहनत करने के बाद भी सफल नहीं हुए, तो आगे बढ़ने के लिए आपके पास विकल्प मौजूद हों। यह बात केवल पढ़ाई या प्रतियोगी परीक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि कैरियर के हर क्षेत्र व्यवसाय, स्टार्टअप आदि में भी लागू करें। इससे असफलता से मिली निराशा पर काबू पाने में सहायता मिलेगी। सकारात्मक सोच से नाता जुड़ेगा।
प्रश्न- सफल अधिकारी बनने के लिए क्या जरूरी है?
श्री महावर – अपने क्षेत्र में महारत हासिल करना सफल होने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। नियमों-कानूनों, कायदों के साथ-साथ व्यवहारिक क्षेत्रों का ज्ञान होना, टीम का नेतृत्व करने की काबिलियत होना सफलता के लिए जरूरी है। मार्केटिंग हो या शासकीय सेवा सभी में संवादों का बहुत अधिक महत्व है। अच्छा कम्यूनिकेटर बनना सफल अधिकारी के लिए अलग ही महत्व रखता है। जानकारियां हासिल करें, उन्हें लोगों तक पहुंचाने का स्किल विकसित करें। सफलता आपसे दूर नहीं जाएगी।
प्रश्न- डर या आत्मविश्वास में कमी पर कैसे काबू पाया जाए?
श्री महावर – अपनी इच्छाओं और भावनाओं पर कंट्रोल करें, आप जो कर रहे है, उसके बारे में सोचें कि क्या वो सब काम या प्रयास आपको आपके लक्ष्य के नजदीक ले जाने में मददगार हैं या नहीं। डर और आत्मविश्वास पर काबू पाना आपके अपने हाथ में है। सकारात्मक सोच रखें और आगे बढ़ने का प्रयास करें।
प्रश्न- कैरियर ग्रोथ के लिए हमारे शौक-हॉबी कितने महत्वपूर्ण हैं?
श्री महावर – हमारे शौक या हमारी हॉबी वो चीज है, जो हमें पसंद हैं। हॉबी को हम जितना अच्छे तरीके से आगे बढ़ाएंगे, हमें हमारी स्किल उतनी अच्छी होगी। पढ़ना-लिखना, ट्रेवलिंग जैसे कई ऐसे शौक हैं, जो आपको अपने कार्यक्षेत्र में जाने-अनजाने मदद करते हैं। कई ऐसे शौक भी हैं, जो कैरियर से जुड़े नहीं हैं, परन्तु कहीं न कहीं व्यवहारिक रूप से आपके प्रोफेशन में कभी न कभी काम आ ही जाते हैं। इसीलिए अपने शौक को खूब विकसित करिए, जानकारियां लीजिए। ज्ञान हमेशा ही कहीं न कहीं काम ही आता है।
प्रश्न- मिडिल क्लास फेमिली के विद्यार्थी ऊंची फीस वाले कोचिंग संस्थानों में पढ़ नहीं सकते, तैयारियों के लिए क्या करें?
श्री महावर – ऐसा नहीं है, जहां तक मेरी जानकारी है, ज्यादातर कोचिंग संस्थान मेधावी विद्यार्थियों के लिए कोई न कोई व्यवस्था रखते हैं। स्कॉलरशिप हो या इंटरेंस एग्जाम के अंकों पर आधारित छूट आज कई मिडिल क्लास फैमिलियों के बच्चे अच्छे कोचिंग संस्थानों में पढ़कर सफल हो रहे हैं। फिर सरकार भी ऐसे मेधावी विद्यार्थियों की मदद के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क तैयारी के लिए कोचिंग, आवासीय विद्यालय, दिल्ली तक में कोचिंग की व्यवस्था सरकार द्वारा की जा रही है। फिर जहां चाह-वहां कोई न कोई राह तो मिल ही जाती है। धमतरी मे भी जेईई-नीट की परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियों को निःशुल्क कोचिंग की जानकारी मुझे है।
प्रश्न-यूपीएससी परीक्षा की सिलेबस की सेलेक्शन के बाद जॉब में क्या उपयोगिता है?
श्री महावर -अच्छा प्रश्न है, ज्ञान हमेशा काम आता है। यूपीएससी की परीक्षाएं किसी एक राज्य विशेष के लिए न होकर पूरे देश के अलग-अलग राज्यों और अलग-अलग क्षेत्र की सर्विसेस के लिए ली जाती है। आईएएस, आईपीएस, आईएफएस के साथ-साथ राजस्व से लेकर आयुध निर्माण करने तक के क्षेत्र के लिए इन परीक्षाओं से अधिकारियों का चयन होता है। यूपीएससी के सिलेबस को पढ़कर आप देश के बारे में जानते हैं, अलग-अलग भाषा, संस्कृति, सभ्यताओं, रीति-रिवाजों से लेकर वहां के भूगोल और मानव संसाधन के बारे में भी जानकारी मिलती है। सेलेक्शन के बाद पोस्टिंग के समय यह सब ज्ञान आपको उस क्षेत्र के लोगों को अच्छी सर्विस देने में उपयोगी साबित होता है। कहा जाए तो यूपीएससी का सिलेबस बहुत सोच समझकर विशेषज्ञों इस तरह तैयार किया है कि एक अधिकारी भारत में कहीं भी पोस्टेड हो, लोगों को अच्छी सेवा दे सकता है।